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20% से 30% बच्चों को वी. यू. आर. के साथ बुखार और मूत्रमार्ग का संक्रमण होता है। कई बच्चों में वी. यू. आर. के कारण किडनी को नुकसान हो सकता हैं। लम्बे समय तक किडनी को नुकसान से उच्च रक्तचाप, महिलाओं में गर्भावस्था की टोक्सीमिया, क्रोनिक किडनी डिजीज और कुछ मरीजों में एंड स्टेज किडनी डिजीज हो सकती है। वी. यू. आर. से पीड़ित मरीज के परिवार के सदस्यों को वी. यू. आर. 224. सुरक्षा किडनी की होना एक आम बात है और यह अधिकतर लड़कियों को प्रभावित करता है।
साधारणतः मूत्राशय में ज्यादा दबाव होने पर भी मूत्रवाहिनी और मूत्राशय के बीच स्थित वाल्व पेशाब को मूत्रवाहिनी में जाने से रोकता है और पेशाब करने की क्रिया में पेशाब मूत्राशय से एक ही तरफ मूत्रनलिका द्वारा बाहर निकलता है बी. यू बार में इस वाल्व की रचना में क्षति होने से, मूत्राशय में ज्यादा पेशाब इकट्ठा होने पर और पेशाब करने की क्रिया के दौरान पेशाब उल्टी तरफ मूत्राशय में से एक अथवा दोनों मूत्रवाहिनी की तरफ जाता है। पेशाब का मूत्राशय से मूत्रवाहिनी और किडनी की ओर प्रवाह की गंभीरता के आधार पर वी. यू. आर. को हल्के से गंभीर ग्रेड (एक से पाँच) में वर्गीकृत किया जाता है।
इस रोग में होने वाली तकलीफ इस रोग की तीव्रता पर आधारित होती है। कम तीव्रता के रोग में उल्टी दिशा में जानेवाले पेशाब की मात्रा कम होती है और पेशाब सिर्फ मूत्रवाहिनी ओर किडनी के पेल्वीस के भाग तक ही जाता है। इस प्रकार के बच्चों में पेशाब के बार-बार संक्रमण होने के सिवाय अन्य कोई समस्या सामान्यतः नहीं होती है। रोग जब ज्यादा तीव्र हो, तो पेशाब के ज्यादा मात्रा में उल्टी दिशा में जाने के कारण किडनी फूल जाती है। तथा पेशाब के दबाव के कारण लम्बे समय में धीरे-धीरे किडनी को नुकसान होता है। इस समस्या का यदि समय पर उचित उपया नहीं कराया जाए तो किडनी पूर्णरूप से खराब हो सकती है।
वी. यू. आर. के लिए नैदानिक परीक्षण:
वी. यू. आर. में अतिरिक्त जाँच:
बच्चे को वी. यू. आर. यदि कम तीव्र प्रकार का हो तो बच्चे के 5-6 वर्ष के होने तक यह अपने आप ही पूर्णरूप से ठीक हो जाता है। ऐसे बच्चों को शल्य चिकित्सा की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ऐसे मरीजों को मूत्रमार्ग का संक्रमण रोकने के लिए एक लम्बी अवधि तक एंटीबायोटिक की कम खुराक जैसे दिन में एक या दो बार दी जाती है। इसे एंटीबायोटिक प्रोफाईलैक्सिस या रोग का निरोध उपचार भी कहते हैं। प्रायः जब तक मरीज 5 साल का नहीं होता तब तक एंटीबायोटिक प्रोफाईलेक्सिस दिया जाता है ये ध्यान रखें की इस एंटीबायोटिक से थी. यू. आर. ठीक नहीं होता है नाइट्रोयूरेन्टाइन और कोट्राइमेक्सेजोल जैसी दवाइयाँ एंटीबायोटिक प्रोफाईलैक्सिस के लिए बेहतर समझी जाती है। जिन बच्चों को वी. यू. आर. है उन्हें मूत्रमार्ग का संक्रमण से बचने के लिए सामान्य निवारक उपायों (जिनकी पहले चर्चा की जा चुकी है) का पालन करना चाहिए। लगातार एवं नियमित पेशाब करना चाहिए । समय-समय पर मूत्रमार्ग का संक्रमण का पता लगाने के लिए पेशाब परीक्षण करना आवश्यक है। रिफलक्स (पेशाब का उल्टी दिशा में आना ) थम गया है या यह निर्धारण करने के लिए वी. सी. यू. जी. और अल्ट्रासाउंड हर साल करवाना चाहिए।
यदि वी. यू. आर. गंभीर (ज्यादा तीव्र) हो तो इसके अपने आप ठीक होने की संभावना कम रहती है जिन बच्चों को तीव्र वी. यू. आर है उन्हें ठीक करने के लिए शल्य चिकित्सा या एंडोस्कोपिक की आवश्यकता होती है। पेशाब का ज्यादा मात्रा में उल्टी दिशा में जाने पर चीरेवाली शल्य क्रिया से सुधार किया जाता है (Ureteral Reimplantation or Uretrocystotomy)। यह ऑपरेशन पेशाब को उल्टी दिशा में बहने से रोकता है। इस सर्जरी का मुख्य लाभ हा उसकी उच्च सफलता दर (88-99%)। गंभीर रूप से वी. यू. आर. के उपचार के लिए एंडोस्कोपिक चिकित्सा, दूसरा प्रभावी उपचार है। एंडोस्कोपिक तकनीक से किया गया उपचार बिना भर्ती किये भी किया जा सकता है इसमें सिर्फ 15 मिनट लगते हैं, इसमें कम जोखिम है और किसी भी प्रकार का चीरा नहीं लगता । ये इस पध्दति से इलाज करने के फायदे हैं। एंडोस्कोपिक चिकित्सा, सामान्य निश्चेतना के तहत किया जाता है। इस पध्दति में एंडोस्कोपिक ( रोशनीवाली) ट्यूब से एक विशेष दवा (Dextranomer/Hyaluronic acids Co-polymer- Deflux) को क्षेत्र में इंजेक्ट किया जाता है जहाँ मूत्रवाहिनी मूत्राशय में प्रवेश करती है। इस दवा का इंजेक्शन, मूत्रवाहिनी के प्रवेश पर प्रतिरोध बढ़ता है एवं पेशाब को वापस मूत्रवाहिनी में जाने से रोकता है। इस विधि के उपयोग से रिफलक्स (ज्यादा मात्रा में पेशाब का उलटी दिशा में जाना) को रोकने की दर 85-90% हो जाती है। एंडोस्कोपिक चिकित्सा, वी. यू. आर. के पहले चरण में एक सुविधाजनक उपचार है क्योंकि यह लम्बे समय तक एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल और वर्षों तक वी. यू. आर. के रहने के नुकसान से बचाता है।
डॉक्टर की सिफारिश के अनुसार वी. यू. आर. से पीड़ित सभी बच्चों की नियमित रूप से ऊंचाई, वजन, रक्तचाप, पेशाब विश्लेष्ण और अन्य परीक्षणों के माप के साथ निगरानी की जानी चाहिए।
जब वी. यू. आर. ज्यादा तीव्र हो और उसके कारण मूत्रवाहिनी और किडनी फूल गई हो, तो ऐसे बच्चों में क्षति को ठीक करने और किडनी की सुरक्षा के लिए ऑपरेशन आवश्यक होता है। जिन बच्चों में रोग ज्यादा तीव्र होने की वजह से पेशाब ज्यादा मात्रा में उल्टी दिशा में जा रहा हो, ऐसे बच्चों में समय पर ऑपरेशन नहीं कराने से किडनी हमेशा के लिए खराब हो सकती है। इस ऑपरेशन का उद्देश्य मूत्रवाहिनी और मूत्राशय के बीच वाल्व जैसी व्यवस्था फिर से स्थापित करना और पेशाब उल्टी दिशा में मूत्रवाहिनी में जाने से रोकना है। यह बहुत ही नाजुक ऑपरेशन होता है, जो पीडियाट्रिक सर्जन अथवा यूरोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है।
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